विवाह की वर्षगाँठ पर
नहीं भरोसा रहा तुम्हारा
चुपके-चुपके क्या कर डालो,
कार चलाना सीख रही हो
घर संग, स्टीयरिंग भी सम्भालो !
शॉपिंग करती, पहनो मैचिंग
दूर-दूर तक जाओ घूमने,
पूरी करो हसरतें दिल की
नहीं अधूरे रहें ये सपने !
तुम भी तो मन के मालिक हो
टीवी के ऐसे दीवाने,
रहे कैमरा हाथों में या
वाह, वाह ! के सुनो फसाने !
सेहत देख आपकी अब तो
किचन में सारे व्यंजन बनते,
जो तुमको रुचता हो अक्सर
सालन भाजी वही तो बनते !
प्रिय पुत्री है गर्व हमारा
दोनों की आदतें हैं जिसमें,
वही साक्षी हम दोनों की
प्रेम हमारा झलके उसमें !
सेवा कर माँ को खुश रखें
यही प्रयास चला करता है,
जीवन के क्रम चलते रहते
यह दिन भला-भला लगता है !
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