विवाह की वर्षगांठ पर
दिल उमगे मुस्कान
अधर पर
चौदह वर्ष का सँग
साथ है,
प्रिय बिटिया मिली
परियों सी
निशदिन ही हाथ
में हाथ है !
देहरादून देव
भूमि में
परिवार संग मिलन
मनाएं,
दिल्ली कभी दुबई
की याद
बीच-बीच में मन
बहलायें !
माँ-पापा व
सास-ससुर सभी
प्रेमाशीष सहज ही
मिलता,
तुम दोनों का
अंतर सबके
नेह सुरभि से सदा
सँवरता !
कर्मठता से जीवन
पथ पर
उन्नति के
प्रतिमान बनाओ,
क्षमताओं का कर
प्रयोग इस
जग को सुंदर और
बनाओ !
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