भांजी के लिए
अखियों में बसा इंतजार
कब आयेगा राजकुमार,
ले जायेगा सँग में उसको
और जताएगा इकरार !
दर्पण में निहारे खुद को
सुंदर पाया चेहरा मोहरा,
अध्ययन तो पूर्ण हो गया
कब छंटेगा दिल से कोहरा !
स्कूल में थी तो दौड़ लगाती
अब दौड़ने से घबराए,
बॅाली-बॉल, कबड्डी खेली
अब सखियों सँग मौज मनाये !
है मोबाइल सँग दोस्ती
एस.एम.एस. के तोड़े रिकॉर्ड,
चेतन भगत प्रिय लेखक है
याद किया करती है गॅाड !
पावभाजी जब मिल जाये
मुख में पानी भर भर जाये,
हर गुरुवार को मंदिर जाके
शिरडी सांई को रिझाये !
बहुत सुंदर कविता अनीता जी..वाह
ReplyDeleteस्कूल में थी तो दौड़ लगाती
अब दौड़ने से घबराए,
बॅाली-बॉल, कबड्डी खेली
अब सखियों सँग मौज मनाये !..बहुत सुंदर
बहुत प्यारी मीठी-मीठी रचना
ReplyDelete💕 ख़ूबसूरत :)
ReplyDelete💕 ख़ूबसूरत :)
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर सृजन ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह आज बच्चों का यही हाल है अनीता जी . आपके नाम पर क्लिक करने पर केवल 'मन पाए विश्राम जहां ' ब्लाग खुलता था . आज प्रोफाइल देखी तो आपके दूसरे ब्लाग भी मिलगये हैं ..
ReplyDeleteआप बैंगलोर में हैं , जैसा कि आपने लिखा है , किस एरिया में रहती हैं