Saturday, January 9, 2021

प्रीत ही भाषा दिलों की

छोटे भाई-भाभी के लिए 
विवाह की वर्षगांठ पर 
दशक बीते संग चलते 
हमसफ़र हम जिंदगी के,
प्रीत ही भाषा दिलों की 
पाठ सीखे बन्दगी के !

इश्क अपना फलसफ़ा है 
डोलती नैया मनों की,
घर बना सारा जहाँ यह 
तोड़ डालीं  हदें सारी !

रब बसाया दिल में जब से 
एक दूजे में झलकता,
बेटियों पर भी लुटाया 
प्रेम अंतर में पनपता !

पिता का है हाथ सिर  पर 
स्नेह का बन्धन अनोखा,
धार बहती शांति रस की 
खुला उर में इक झरोखा !

सुन रहा अस्तित्त्व सारा 
दे रहे हम भी दुआएँ,
साथ यूँही चले जन्मों 
जिंदगी यूँ मुस्कुराये !


 

5 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना

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  2. बहुत सुंदर रचना

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  3. सुन रहा अस्तित्त्व सारा
    दे रहे हम भी दुआएँ,
    साथ यूँही चले जन्मों
    जिंदगी यूँ मुस्कुराये !

    हार्दिक मंगलकामनाएं हमारी ओर से भी

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  4. अति सुंदर भाव । उनकी जोड़ी हमेशा सलामत रहे ।

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