Monday, September 23, 2024

सच हो जायें सारे सपने

जन्मदिन पर 

ढेर सारी शुभकामनाएँ 


बरसा होगा नीर गगन से

भीगा-भीगा मौसम होगा, 

तुम आयीं थीं जिस दिन जग में  

कितना सुंदर दिन वह होगा !


तुम्हें बधाई इस शुभ दिन की 

यही कामना सदा हमारी, 

मन महके हर दिवस वर्ष के 

खिली रहे बगिया तुम्हारी !


स्वप्न सजे हैं पलकों पर जो 

होंठों पर जो गीत हैं रुके, 

सच हो जायें सारे सपने

गीत सदा आँगन में गूंजे !


तुम दीप शिखा सी शोभित  हो 

हर तरफ़ उजाला बिखराओ, 

सदा हँसो शीतल निर्झर सी  

पीड़ा में भी बस मुस्काओ !


हर वर्ष दिवस यह आता है 

संग लिए बचपन की स्मृतियाँ, 

फिर याद कर दिला जाता है 

बीते जीवन की कुछ कड़ियाँ !


हर वर्ष मनाओ जब यह दिन 

तुम याद हमें भी कर लेना, 

सुंदर बधाइयाँ फूलों से 

पत्तों, सूरज से ले लेना !


Tuesday, September 3, 2024

घर आये थे अरमान लिए

भांजे के लिए जन्मदिन पर 


घर आये थे अरमान लिए 

फिर झेला क़हर बादलों का, 

जब घुस आया घर में पानी 

कोना भी बचा था न सूखा !


भाई-बहनों संग धूम मची 

फिर इक-इक कर सब विदा हुए, 

कुछ वक्त बिताने और साथ 

हम चारों फिर भी यहीं रहे !


माँ पापा की अब उम्र हुई 

देह शिथिल पर दिल अभी जवां, 

हँसते-हँसते हर कष्ट सहा

घर में सदा ख़ुशियों का समाँ !


Friday, August 9, 2024

उनके स्नेह की दृढ़ डोर से


प्रिय ब्लॉगर मित्रों, पिछले माह के अंतिम सप्ताह में पिताजी ने देह त्याग दी। आज तीन सप्ताह के बाद ब्लॉग खोला है, पर लगता है जैसे एक युग बीत गया।



उनके स्नेह की दृढ़ डोर से




शब्दों में सामर्थ्य नहीं है 

जो परिभाषित कर सकें उन्हें, 

सम्मान और स्नेह लुटाकर 

उर स्मरण आज कर रहा जिन्हें !


अनुशासन, दृढ़ इच्छा शक्ति

दो स्तंभों पर खड़ा था जीवन, 

यम-नियम साधा हर क्षेत्र में

व्यर्थ नहीं व्यय किया कभी क्षण !


एक विशाल वटवृक्ष सा ही 

व्यक्तित्तव था पापा जी का,

जिसकी छाया में पलता था

छह भाई-बहनों का कुनबा !


माँ की कमी नहीं खलने दी 

ममता सब पर सदा लुटायी,

कठिन श्रम मेहनत के बल पर 

क़िस्मत सुंदर स्वयं बनायी !


उनके स्नेह की दृढ़ डोर से

बँधे हुए थे सभी सुरक्षित, 

अब लगता यह कहाँ गया है 

शांत सहज आनन वह पुलकित !


वर्षों से वे बने हुए थे 

रचनाओं के पहले पाठक, 

सहज प्रेरणा स्रोत बने हैं

माँ जैसे प्यारे  अभिभावक !


बड़े धैर्य से लड़ा उन्होंने 

अंतिम युद्ध रोग से अपने, 

डाले नहीं कभी हाथियार

जीवन जीया बल पर अपने !


देह का दर्द रोक न पाया

संगीत से लगाव  पुराना, 

विविध-भारती पर वर्षों से

बड़े भाव से सुनते गाना !


रस-सौंदर्य की परख अति  थी 

चेहरे पर सौम्यता छायी,

जो भी आया भेंट उसे दी 

भक्ति ह्रदय में सदा समायी !


जहाँ कहीं हैं आप सुनेंगे 

श्रद्धा सुमन समर्पित करते, 

हैं अनंत पर थोड़े से ही  

मन के भाव शब्द में भरते !


Thursday, July 11, 2024

लुटाते रहो विश्वास और प्रेम मन का

पुत्र के

जन्मदिन पर

आकाश में उड़ता तुम्हारा जहाज़ 

केवल जहाज़ नहीं है 

यह तुम्हारे दिल की पुकार है  

जो उड़ना चाहता है दूर अंतरिक्ष में 

जिसे नहीं भाते दुनिया के संकरे रास्ते 

जो अपनी अनंत पहचान पाना चाहता है 

जो हवाओं और खुले आकाश के साथ एक हो जाता है 

नये-नये ज्ञान-विज्ञान सीखने को आतुर तुम्हारा मन 

केवल कौतूहल नहीं पाना चाहता 

वह भर जाना चाहता है विस्मय से 

इस ब्रह्मांड की शक्तियों के विभिन्न रहस्यों से 

हर बात को तर्कपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने की तुम्हारी चाह 

केवल शाब्दिक समझ नहीं है 

वह व्यवस्था के प्रति तुम्हारा भीतरी आग्रह है 

जो मिटा देना चाहता है हर अव्यवस्था 

ताकि सुंदर बने जीवन का हर पल,  हर घड़ी 

तुमने भर दिया है हमारे जीवन को उपहारों से 

किताबों और नये से नये साधनों से

बदल रही है जैसे भूमिका 

सन्तान और माता-पिता की 

तुम्हारा अनकहा प्रेम व्यक्त होता है 

उन रसीले फलों की मिठास में 

हर सप्ताह होने वाली तुम्हारी उपस्थिति में 

ऐसे ही यह साथ सजीला बना रहे जीवन संगिनी का 

लुटाते रहो विश्वास और प्रेम मन का 

सभी रिश्तों पर !


Sunday, June 9, 2024

सुखमय हों रस्ते जीवन के

जन्मदिन पर 

ढेर सारी शुभकामनाएँ 


दुबली-पतली एक बालिका 

अति मेधावी, नृत्य साधिका, 

मीठे कोमल स्वर में बोले 

नाचे बनकर कृष्ण-राधिका !


 आँख का तारा माँ-पापा की 

दादी-नानी वारी जातीं, 

गर्व अति दादा-नाना को 

चाचा-चाची, भाई-बहन को ! 


माँ ने सुंदर  केक मंगाया

घर भर गुब्बारों से सजाया,

पापा लाए  लड्डू, पेड़े

सबने मिलकर गिफ्ट दिलाया !

 

सुंदर हो भविष्य तुम्हारा 

स्वप्न सभी पूरें हों मन के, 

यही कामना हम करते हैं 

सुखमय हों रस्ते जीवन के !



९ जून २०२४ 


Monday, June 3, 2024

जीवन क्रम नित आगे बढ़ता



प्रिय दीदी के लिए 

जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ 


झरती है मुस्कान अधर से 

पुष्प विटप से ज्यों झरते हों, 

आश्वासन देता सा स्वर है 

पल-पल प्रेम बरसता उर से !


अनुशासन की शक्ति चलाये  

नहीं प्रमाद, कोई शिथिलता, 

बिना थके या उलझे मन से 

जीवन क्रम नित आगे बढ़ता ! 


पूरे मनोयोग से अपने 

अतिथियों का स्वागत करतीं,

कहीं भी कोई कमी न छोड़ें

नित्य नये व्यंजन बनातीं !


सुखमय उनकी छाया बनकर 

जीजा जी का साथ निभाया, 

हर सुख-दुख में दिया हौसला 

अंतर में विश्वास जगाया !

२ जून २०२४ 

अनिता 


Wednesday, February 28, 2024

निज हाथों पर विश्वास बड़ा

प्रिय आंटी के लिए

ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ 


एक लेखिका कवयित्री हैं 

वाणी प्रखर, तेजस्वी मुखड़ा, 

समर्पिता प्रिया, माँ व नानी

निज हाथों पर विश्वास बड़ा !


कर्मठ अति हैं भक्त ह्रदय से 

क़िस्सों का है एक पिटारा, 

आस-पड़ोस संग ले चलतीं 

अंतर में ख़ासा जोश भरा !


बच्चों के सुख-दुख की भागी 

सदा आशीर्वाद बरसातीं, 

जिससे मिलीं भुला ना पाया  

सत्व भाव से जग हर्षातीं !


याद आ रहीं उनकी बातें 

उनसे मुलाक़ात के वे पल, 

जीवन की संध्या आयी है 

ईश उन्हें दे आत्मिक संबल !


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